अनामिका जी की एक कविता है । बात सही लगी कविता अच्छी लगी सो यहाँ ठेल दे रही हूँ । वमन के बाद पेट में मरोड नही उठने चाहिये {चित्त शांत होना चाहिये }और रास्ते पर आगे बढना चाहिये । है न! सो अनामिका की यह कविता "बीती ताहि बिसार दे आगे की सुध ले ..." के अन्दाज़ में ।या कबाडखाना की तरह "जैसे उडि जहाज को पंछी फिर जहाज पे आवै ..' चोखेर बालियों के अपने बडे मुद्दे हैं बात करने को ।
"अपनी जगह से गिरकर
कहीं के नही रहते
केश औरतें और नाखून "--
अनवय करते थे किसी श्लोक क ऐसे
हमारे संस्कृत के टीचर ।
और मारे डर के जम जाती थीं
हम लडकियाँ
अपनी जगह पर !
जगह ? जगह क्या होती है?
यह वैसे जान लिया था हमने
अपनी पहली कक्षा में ही !
याद था हमें एक एक क्षण
आरम्भिक पाठों का ---
"राम! पाठशाला जा !
राधा,खाना पका !
राम,आ बताशा खा !
राधा ,झाडू लगा !
भैया अब सोयेगा ,
जाकर बिस्तर बिछा !
अहा, नया घर है !
राम ,देख यह तेरा कमरा है !
'और मेरा ?'
'ओ पगली ,
लडकियाँ हवा धूप मिट्टी होती हैं
उनका कोई घर नही होता ! "
जिनका कोई घर नही होता --
उनकी होती है भला कौन सी जगह ?
कौन सी जगह ऐसी होती है
जो छूट जाने पर
औरत हो जाती है
कटे हुए नाखूनों,
कंघी में फंसकर बाहर आये केशों -सी एकदम से बुहार दी जाने वाली ?
घर छूटे ,दर छूटे ,छूट गये लोग बाग
कुछ प्रश्न पीछे पडे थे ,वे भी छूटे !
छूटती गयी जगहें !
परम्परा से छूट कर बस यह लगता है -
किसी बडे क्लासिक से
पासकोर्स बी ए के प्रश्नपत्र पर छिटकी
छूटी सी पंक्ति हूँ -
चाहती नही लेकिन
कोई करने बैठे
मेरी व्याख्या सप्रसंग !
सारे सन्दर्भों के पार
मुश्किल से उडकर पहुँची हूँ ,
ऐसे ही समझी -पढी जाऊँ
जैसे तुकाराम का कोई
अधूरा अभंग !
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12 comments:
Very touching and well expressed !
"तुकाराम का कोई अधूरा अभंग !"
"तुक्या म्हणे माझा विट्ठल्ला साँपड्ल्या "
तुकाराम जी गाते हैँ अभँग मेँ कि,
"अब तो श्री हरि मुझे मिल जायेँ "
"अब तो श्री हरि मुझे मिल जायेँ " एक स्त्री के बचपन से स्त्रीत्व तक की लम्बी सँघर्ष यात्रा का बखूबी वर्णन किया है कवियत्री ने --
vaah...aabhaar sujataa...kavitaa mun bhaayii
स्त्रियों को अब हवा धूप और पानी से बाहर अपनी जगह बनाने के लिए खुद ही प्रयास करना होगा। बहुत सी औरतों ने किया है और आगे भी जो संघर्ष करेगा वह विजयी होगा। पृथ्वी के प्रत्येक प्राणी पर यह बात लागू होती है। पुरुषों को भी इसी तरह की बेनामी का सामना करना पडता है अगर वे सक्षम नहीं हो पाते हैं। कोई जमींदार की गुलामी करता है तो कोई बणिए की। संघर्ष कर अपने वजूद को साबित करने की समस्या स्त्री और पुरुषों में बराबर है।
कविता: अपने मन के भाव उजागर करने में सक्षम मैं।
sujata jee,
kavita mein naari man kaa dard aur jeevan samet diya aapne, yadi kabhi fursat ho to www.jholtanma.blogspot.com par kyon paidaa hotee hain betiyaan padhein. dhanyavaad.
बहुत सही व सुन्दर !
घुघूती बासूती
कवयित्री अनामिका का नाम थोड़ा अलग से बोल्ड में दे दें तो उचित होगा .
हां , बचपन से यहीं तो पढ़ते आए हैं , राम मेला जा, मोहन खाना खा पर राधा पानी भर, मुन्नी झाड़ू लगा। क्यों कभी ऐसा नहीं कहा गया कि राधा पढ़-लिख, बड़ी लेखिका बन या अपने पैरों पर खड़ी हो। यही है हमारे समाज की मानसिकता। शुक्रिया सुजाता, लड़कियों को उनकी असलियत याद दिलाने के लिए
राह कठिन है नामुमकिन नही......संघर्ष तो करना ही होगा अपनी जगह बनाने के लिए......
भाई ये अंदाज वाकई पसंद आया ..कविता का
see my site www.thevishvattam.blogspot.com &
hiiiiiiiiiiiiiiiiiiiii my aim worldpeace is a my life my dream&concentration as a breath to me.it is not a side of money/selfbenifit.i want do socialwork with honesty;not a only working for it but more harderwork.my book A NAI YUG KI GEETA..is completed.This is in hindi languages .nowadays im suffering many problems like.1.publishers says that u have no enough degree&b.tech students is not a enough for it.&who know you in your country/world so they advice me firstly you concentrate for degree because of at this stage nobody read your book but they also said that your book is good. 2.publishers wants to data for publishing the book.means from where points did you write your book but i have no data because of my book is based on my research.book chapter name is. 1.MAHILA AAJ BHI ABLA HAI KYO . 2. AIM PROJECT {AAP APNA AIM KA % NIKAL SAKTE HO }. 3. MY PHILOSPHEY 4.MERA AIM VISHVSHANTI. 5.POETRY. 6.NAYE YUG KI GITA VASTAV MAY KYA HAI. 7. WORLD {SAMAJ} KI BURAIYA. 8. VISHV RAJ-NITE. ALL THESE CHAPTER COVERD BY ME. 3.max. people told me that firstly u shudro than worry others. they told me now a days all lives for own .why u take tansen for world . i cant understands thease philoshpy. according to my philoshpy in human been charcter; huminity; honesty; worlrpeace &do good work. i have two problem 1. DEGREE. 2. LACK OF MONEY because my parents told me your aim is not any aim &u tents to many difficulties. PLEASE ADVICE ME. IF U CAN GIVE ME YOUR POSYAL ADDRESS &PHONE NO. THAT WILL BE GOOD . THANKS. " JAI HINDAM JAI VISHVATTAM " THANKS.
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