
आज नेट पर घूमते -घूमते दो बातें हैरान कर गयीं । दो ऐसे ब्लॉग मिले जहाँ स्त्री पर बड़ी नेक राय कायम हुई दिखती है । हैरानी यह है कि दोनो ब्लॉग पुरुष चलाते हैं । एक है शेखावटी -स्त्री के लक्षण दे रहे हैं ।
इनकी राय में स्त्री की क्या छवि है यह खुद ही देखिये।
हम कितना ही पढ लिख ले कहीं कोई अंतर सोच में दिख रहा है क्या ? मुस्लिम औरतों के पर्दे को लेकर क्या सोच है यह बहर जी के ब्लॉग पर देखिये
और
बीवी के शौहर पर हक़ भी देखिये ।
यह बहुत नही हुआ । अभी सारथी जी , जिनसे ऐसी बिलकुल भी अपेक्षा नही थी , उनके भी ब्लॉग का भी लिंक दे रही हूँ बावजूद इसके कि संटी उठाने वाली के नाम से बदनामी मिल सकती है । देखिये -यौनाकर्षण की ज़िम्मेदारी स्त्री की है ।
कहने की बारी आपकी है ।
4 comments:
http://shanoospoem.blogspot.com/2007/07/blog-post.html
देखा रचना जी । यह बहुत खेद की बात है !
ऐसी चीजों को बहुत महत्व देने की जरूरत नहीं है शायद। पर इनकी लिस्टिंग होते रहनी चाहिए। ताकि सनद रहे और वक्त-जरूरत काम आए।
असल में यह एक विचित्र स्थिति है। चर्चा करने से गंदगी को महत्व मिलता है, पर उपेक्षा भी कैसे की जाए?
एक तरीका यह हो सकता है कि इनका जिक्र कर दिया जाए और कमेंट एकाध शब्दों तक सीमित रखा जाए, जैसे, सर, आप कहां थे या मैं इन्हें भला आदमी समझती थी /समझता था या आप भी...
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