
सदियों से भूखी औरत
करती है सोलह श्रृंगार
पानी भरी थाली में देखती है
चन्द्रमा की परछाईं
छलनी में से झांकती है पति का चेहारा
करती है कामना दीर्घा आयु की
सदियों से भूखी औरत
मन ही मन बनाती है रेत के घरौंदे
पति का करती है इंतज़ार
बिछाती है पलकें
ऊबड़ खाबड़ पगडन्डी पर
हर वक्त गाती है गुणगान पति का
बच्चों में देखती है उसका अक्स
सदियों से भूखी औरत
अंत तक नही जान पाती
उस तेन्दुए की प्रवृति जो
करता रहा है शिकार'
उन निरीह बकरियों का
आती रहीं हैं जो उसकी गिरफ्त में
कहीं भी, किसी भी समय ।
--अश्वघोष
वागर्थ से साभार
०७ अलकनंदा एन्क्लेव
जनरल महादेव सिंह मार्ग
देहरादून २४८००१ (उत्तराखँड)
8 comments:
सदियों से भूखी औरत,
किस बात की भूख है उसे,
क्या वह यह जान पाई?
deep thinking....
जो सोचते रहने पर मजबूर कर देती है...
Hope, hunger turns her towards finding ways and means to become self-dependent to fight hunger-pangs, Instead of looking towards others for her own needs, she becomes strong enough to stand on her own.
मधुमती फिल्म का गीत भी यही भाव असमँजस सहित दुहराता है , " मैँ नैया फिर भी मैँ प्यासी, भेद ये गहरा बात जरा - सी "
ये भाव नारी ही क्यूँ हर इन्साँ के जहन से जुडा हुआ है , रुह की प्यास हमेशा अतृप्त रही है ..
जो शायद सूफी सँतोँ या योगीयोँ के निर्वाण पर ही समाप्त हुई है
Dear Sujata ji,
Aapka blog bahut hi acha laga
Asha hai aap ke blog je jariye kayi achi vaktavya padne ko milta rahega
Regards,
Ami Bhushan Jha
मौसम ने परिन्दों को ये बात बता दी है,
उस झील पे खतरा है उस झील पे मत जाना.
अपने को कई बार रोकने के बावजूद खतरे वाली झील पे आने को विवश हूँ बहुत ही जानदार कविता है आइना दिखा रही है.
एक कविता बहुत पहले मैंने कहीं पढ़ी थी ज़रा गौर फ़र्मायें
आज की सीता ने
अपने राम को
घर से बाहर निकाल दिया है
और राम अब सूर्पणखा की तलाश में निकल गया है.
मंटो की कहानी कहीं पढ़ी है शिकारी औरतें.
सिक्के के दोनों पहलू होते हैं.
हिन्दी की सशक्त रचनाकार मनुभंडारी ने सच ही कहा है औरत की नज़र यूँ ही पैनी होती है.
पैनी नज़र से वो जान लेती है किसे कितना डोज़ देना है उसे पता है वह अपना काम निकाल लेती है.
ये खेल यत्र तत्र सर्वत्र देखे जा सकते हैं.कभी उन पर भी तब्सिरा करें.आमीन.
aurat chhahe kitne bhi dino bhuki kyu na rah le mardjaat ko koi fark nahi padne wala.wah to yahi sochta hai ki aurat apne dhram ka palan kar rahi hai .isliye ye khud aurat ko hi tay karna hoga ki ye sab wah kewal samajik reeti - riwajo ki wajha se karne ko majbor hai ya wah khud esha chhati hai.
If she is hungry that is her own choice . Why can,t she do something to fulfil her need....
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