Monday, May 5, 2008
संसद में दिखेंगी ३३ फीसदी महिलाएं
देश की राजनीतिक संस्थाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर से गरम होने वाला है। आज सुबह एक सर्वदलीय बैठक में इस मामले पर चर्चा की गई। जिसमें सोनिया गंधी सहित एऩडीए व यूपीए के कई बड़े नेता थे। हालांकि महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण को लेकर एक नजर से तो सभी राजनीतिक दल सहमत हैं लेकिन लाल यादव की राजद ,शरद यादव के नेतृत्व वाली जनता दल यूनाइटेड और राम विलास पासवान की लोजपा जैसी पार्टियां हैं जिनके कुछ वैचारिक मतभेद हैं खासकर आरक्षण के मामले को लेकर । कुछ अंदरूनी लोगों के मुताबिक इस सत्र में यह विधेयक पेश हो जाएगा। इसके बाद संसद का चेहरा बदल जाएगा। कम से कम एक तिहाई महिलाओं को देखना सचमुच एक सुखद आश्चर्य होगा। इसका अर्थ है कि मंत्रीमंडल में भी एक तिहाई चेहरे फेयर सेक्स के होंगे। अभी तो मंत्रीमंडल में महिला मंत्रियों की संख्या इतनी कम है कि ये अंगुलियां पर गिनी जा सकती है। केवल भारत ही नहीं पूरी दुनिया की यही हालत है। दुनिया भर की सभी सरकारों में केवल 14 फीसदी महिला मंत्री हैं, कुछ देसों में तो ये केवल 3 से 4 फीसदी महिला मंत्री हैं। महिलाओं की स्थिति में तब तक सुधार नहीं हो सकता जब तक निर्णय करने वाली स्वयं महिलाओं नहीं होगीं। ऐसे में अगर इस सत्र में महिला आरक्षण बिल आ जाता है तो ये महिलाओं के लिए एक अच्छी खबर होगी।
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8 comments:
अगर बिल पास हो गया तब तो निश्चित ही खुशी कि बात होगी। वरना कहीं पिछली बार वाला ही हाल ना हो।
खुदा करे पास हो जाए,आमीन
चलिए कुछ आस तो बंधी
निरणय करने वाली महिलाएम ही होंगी तो आशा तो बन्धेगी पर वे शायद संसद मे स्त्री समुदय का प्रतिनिधित्व कम और राजनैतिक प्रतिनिधित्व ज़्यादा करेंगी ।
सत्ता स्त्री को भ्रष्ट न करे , यही कामना है ।
मेरी भी शुभकामना स्वीकार करें
कहीं यह बिल लाना इस सरकार का अपनी गिरती साख बचाने का एक चोंचला भर न हो ।
राजनैतिक पार्टियाँ अगर महिलाओं को टिकिट ना दें तब महिलाओं को अपनी स्वतंत्र पार्टी बनानी चाहिये ।
आरक्षण द्वारा ही महिलाओं की प्रगति सम्भव है, ऐसा सोच क्यों है? आज बहुत सी महिलायें महत्वपूर्ण स्थानों पर हैं. क्या यह सब आरक्षण की कृपा से हैं? यदि राजनितिक पार्टियां महिलाओं को समुचित प्रतिनिधित्व नहीं देतीं तब महिलाओं को अपनी राजनितिक पार्टी बनानी चाहिए. एक तिहाई क्यों, उससे अधिक क्यों नहीं. मैं मानसिक रूप से स्वतंत्र नारी को वोट दूँगा.
यदि आरक्षण के द्वारा ही महिलाओं को प्रतिनिधित्वा मिलता है तो वो बहुत आवश्यक है. देश की आधी आबादी नाममात्र प्रतिनिधित्व के कारण उन्नति के हर कदम पर अर्चन पा रही है.
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