कहाँ हो मेरे अगले प्यार
आभा
कठपिंगल तुम न ठीक से मुझे जानते हो न मेरे सारे प्यार को
मैं बताती हूँ...तुम्हें अपने बारे में..... विस्तार से
मेरे पति के मित्र और सहपाठी अनिल सिंह मेरे पहले दूसरे तीसरे नहीं
एक हजार सातवें प्यार थे,
एक हजार आठवें थे कवि बोधिसत्व जिनकी बाहों में मैं समा गई
शायद यह सब तुम नहीं जानते...
इसीलिए तुम मुझे धमका रहे हो
स्त्री जान कर डरा रहे हो।
पर तुम नहीं जानते कि
मेरा प्यार अभी भी जारी है
मुझे लगता है अगली तुम्हारी बारी है
अपना चेहरा दिखाओ
अपना पता बताओ
अपना फोन या मोबाइल नंबर बताओ
अब तुम्हारे पास आने की तैयारी है
तुम्हारी हो जाने की बेकरारी है
मुझे ई-मेल करके मत धमकाओ
अब मेरे हो जाओ....
अगर मनुष्य हो
अगर पुरुषार्थी हो तो
सामने आओ....
और मेरे सभी आशिकों का पता मुझसे पाओ...
तुम्हारे इंतजार में बैठी हूँ....।
आओ और मेरी बेइज्जत कर जाओ...
मुझे सामने से गाली दे जाओ...।
क्योंकि इस देश में यही होता है....।
तुम्हारी गालियों के इंतजार में ......
आभा....
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9 comments:
कठपिंगल जी पता बताइए मैं आभा को लेकर आपके पास आता हूँ...
कठपिंगल जैसे लोग
मनुष्य ही नहीं होते
तो पुरुष कैसे होंगे
यह तो सिर्फ अपने
मन की गंदगी फैलायेंगे
कोई कुछ कहे तो तिलमिलायेंगे
ना इनका कोई वजूद है
ना कोई अस्तित्व
यह तो सिर्फ नाली के कीड़े हैं.
जो सदियों से
केवल गंदगी में रहते आये हैं
गंदगी फैलाते आये हैं.
- कठपिंगल की अगली गाली का निशाना मैं काकेश
कौन है यह कठपिंगल?
आभा , आपके क्षोभ, आक्रोश और दुख को समझ सकती हूँ । इस अनाम बेनाम को लेकिन अपना कोई भी जवाब देकर आप उसको बेवज़ह एहमियत दे रही हैं । जो आपको जानते हैं , उन्हें ऐसी घटिया तुच्छ बातों से फर्क नहीं पड़ता , जो नहीं जानते वो क्या सोचते हैं , फर्क नहीं पड़ता ।
मज़े से रहिये । हम सब मिलकर ही ऐसी ओछी बातों का मुकाबला कर सकते हैं ।
काकेश की कही को ही दोहरा रहा हूं. हालांकि गालियां, अच्छा हो, काकेश की दिशा में ही जायें, मेरी दशा इन दिनों बहुत ज़्यादा धीरजवाली नहीं है.
क्या जवाब है...कमाल। काश, इसे पढ़ते हुए कठपिंगल का चेहरा मैं देख पाती।
:(
:(((((
yeh sawaal jawaab behad maayoos karne waale hain
बहुत सुंदर। बहुत साहसी। बहुत विनोदी। बहुत सटीक।
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