Saturday, August 23, 2008
प्यार करने की सज़ा
दुआ खलील ,17 साल की लड़की,भीड़ द्वारा दबोची गयी,उघाड़ी गयी,पत्थ्रों से मार मार कर मौत की नीन्द सुला दी गयी। भीड़ चहक रही थी।भीड़ मे सिर्फ पुरुष थे।उन्होने धर्म की रक्षा की थी।पुलिस फोर्सेस तमाशा देख रही थीं।लड़की का कसूर था कि उसने अपना प्यार का साथी खुद चुन लिया था। जबकि यह उसके पिता, भाई ताऊ चाचा का काम था।सिक्युरिटी उसके लिए कुछ नही कर सकती थी।
कहिये यह तो ईराक़ था ।
क्या आपको भारत में ऐसे दृश्य देखने को नही मिले?
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13 comments:
Nahin.
भारत में इतनी स्वतंत्रता तो है। खुलेआम शायद ही कुछ होता है। जन्माष्टमी की बहुत बहुत बधाई।
पशु-प्रवृत्ति के लोग प्रत्येक समाज में इधर-उधर कहीं भी मिल सकते हैं। ये देश,काल,और वातावरण से परे होते हैं। इनके आधार पर पूरे समाज को लांछित नहीं किया जा सकता है। वहशी वो होता है जो ‘इन्सान’ नहीं रह जाता। उसके कुकृत्य मनुष्य को परिभाषित नहीं करते।
मैंने भारत में ऐसे द्रश्य कभी देखे नहीं, पर ऐसी बर्बरतापूर्ण घटनाओं के बारे में पढ़ा है. हानर किलिंग के नाम पर ऐसी घटनाएं हो रही हैं. पंचायतें अक्सर ऐसे अपमानजनक कामों में शामिल पाई जाती हैं. पर ऐसा नारी के साथ ही नहीं पुरुषों के साथ भी होता है. इन वहशी दरिंदों की गाज नारी और पुरूष दोनों पर गिरती है. यह समाज के किसी एक या दो वर्गों तक सीमित है. पूरा समाज इस में शामिल नहीं है. बल्कि समाज का एक बहुत बड़ा हिस्सा इन की निंदा करता है. ऐसे अपराधियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए.
होता हा ऐसा होता हा पर स्त्री पुरूष दोनों के साथ, यह फिर्फ़ महिलाओ की ही समस्या नही हा यह हा समाज के ठेकेदारों की , कितने किस्से आते हैं जहाँ २ प्यार करने वालो को निर्ममता से मार दिया जाता हा और वोह भी अपनों के द्वारा और सब देखते रहते हैं । सवाल यह हा की इसका हल क्या हा, हमें एक सजीव समाज बनाना होगा जहाँ मुर्दे नही जीवित लोग रहते हैं संवेदनाओं के साथ, अपने आस पास जो भी घटता हा उस से प्रभावित होते हैं और प्रितिक्रिया करते हैं, सिर्फ़ लिख कर नही, वहां भाग ले का
मुझे अज भी एक घटना याद आती हा, जब हमारे पास के घर से अक्सर एक महिला के रोने चीखने की आवाज आती थी,और मुझे बेचैन करती थी, पर उस समय मैं बहुत कम उमर थी और मेरे परिवार वालो ने मुझे वहां नही जाने दिया , और न ही ख़ुद जान ने की कोशिश की, और हमें इसी असमर्थता को हमें दूर करना हा,और जो हिम्मत करे उसे होसला देना होगा ।
कम से कम अपने परिवार में हम कभी ऐसा नही होने देंगे इसका प्रण लेना होगा , और शायद शिक्षा ही हर समस्या का दूरदर्शी उपाय हा.
.
जन्माष्टमी की बहुत बहुत वधाई
हाँ भारत में भी होता है कई बार टी वी पर ही देखा है,मगर स्त्री ही नही पुरूष के साथ भी ऎसा देखा है...
ऐसा बर्बर समाज कमोबेश किसी न किसी युग में हर जगह रहा है, अराजक स्िथति में तो यह दुर्घटना और भी ज्यादा दिखाई देती है।
http://www.hindu.com/2004/01/13/stories/2004011305091200.htm
http://www.boloji.com/wfs6/2008/wfs1144.htm
: http://www.ibnlive.com/news/haryana-couple-marries-outside-caste-gets-death/44704-3.html )
http://www.onlinewomeninpolitics.org/archives/04_0112_in_wrights.htm
http://www.indiatogether.org/2006/aug/soc-choicewed.htm
ये वो चंद लिंक हैं जो भारत में सामाजिक मान्यता प्राप्त समूहों की निर्मम, खुल्लम-खुल्ला अत्याचारी हरकतों को जाहिर करती हैं। उत्तर भारत में गांवों की पंचायतों के साथ जाति पंचायतें भी हैं जो सरेआम हत्याओं के फतवे जारी करती है और ऐसे हत्यारों की पीट ठोंकती है।
जाहिर है, ये फैसले गांव के पुरुष ही करते हैं।
ऐसा सिर्फ लड़की के साथ हो या लड़का-लड़की दोनों के साथ, माफी के काबिल नहीं।
और, ये घटनाएं एक या दो समूहों तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे गांव के पुरुषों की सहमति से और भागीदारी से होती हैं। जाहिर है, घूंघट में छुपी औरत की इस पर कोई राय मायने तक नहीं रखती, सुनना तो दूर की बात है।
यह दुख की बात है पर ऐसा भारत में होता है।
आशा जी, आपने नही सुना देखा होगा पर सत्य है कि यह भारत मे भी होता है।दलित की लडकी को स्रेआम गाँव मे दबंगों द्वारा नंगा घुमाया जाता हैजिसकी गवाह पुलिस भी बनती है।अंतर्जातीय विवाह करने पर सरेआम लड़का लड़की को कत्ल कर दिया जाता है।और बहुत से उदाहरण मिलेंगे।ईराक़ की बात तो छोड़िये , भारत तो एक बड़ा लोकतंत्र है।यहाँ भी खुलेआम स्त्री को प्रताड़ना का शिकार बनाया जाता है।
sujata ji maine ye pathar mar mar kar hatya karne ke sandarbh me kaha tha. waise streeto har desh men shoshit hai. America kee live in padhdhati me hee dekh leejiye. ladke mauj karte hain par ladki lving in men bhee intajar karati rehati hai ki wo muze kab propose karegaaur wo kartahi nahi kyun ki use to bina commitment ke hi sab mil raha hai. chahe job men ho to bhee she has to do much better than her male colleagues to go up. itane par bhee fikra yah ki are she got it because she is a woman of course apwad roop men striyan bhee aise fayde utha tee hain.
अपनी पसंद के इंसान से शादी की इच्छा करने की यह सजा? अल्लाह तुम्हारे नाम पर यह कैसा जुल्म हो रहा है?
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