कन्या
जगत की जीवनदायिनी शक्ति
क्यूँ है शापित जनम से
जन्म लेने के अधिकार से वंचित क्यूँ है ?
प्रकृति का कोमल उपहार
भोर की उजली किरण
जीवन की प्रथम कलि
खिलने से पहले ही मुरझाने को विवश क्यूँ है ?
कन्या
माँ ,बेटी, बहन है
जन्मदायिनी माँ की आंख का आंसू क्यूँ है ?
--नीलिमा गर्ग
18 comments:
* kalee
सवाल नीलिमा जी बहूत दिनों से उठ रहे हैं, आये अब जवाब तलाशे
मार्मिक और ह्रदयस्पर्शी रचना.
आँखें भिगो दी आपकी रचना ने. कन्या को जन्म लेने से ही बंचित कर देना ईश्वर के प्रति अपराध है.
Its sad. Try to find poems and writeups with positive energy. The society won't see a good day's light if we keep on discussing/writing about the old and and sad things. Write something positive something good. We appreciate your effort but we need to develop a habit of appreciation, which we don't have in the Indian masses.
अब ये बदल कर रहेगा ।
ये सब अब भी चल रहा है.....!!!! यकीन नहीं होता कि सदी बदल गई । आसमान में उड़ने वाली बेटियों का ज़माना भी तो कहते हैं इस दौर को ?
बिचरता हूँ ब्लाग्स की दुनिया में,
नाम है मेरा अनाम,
कुछ देर ठहरा इस ब्लाग पर,
बांची पत्रिकाएं,
पत्रिकाओं पर टिप्पणियां,
टिप्पणिओं पर टिप्पणियां,
अब ले रहा हूँ विदा,
सोचा कर दूँ हस्ताक्षर,
इस ब्लाग के विजिटर रजिस्टर में.
इस ब्लाग की सूत्रधार है एक नारी,
कहती है ख़ुद को चोखेरवाली,
समाज की आँख की किरकिरी,
पैरों की धूल छा जाना चाहती है आसमान पर,
मन करता है प्रशंसा उस के साहस की,
पर,
प्यार करना उसे आया नहीं,
नफरत करने से वह अघाई नहीं,
खड़ी है प्रेमी पुरूष की छाती पर,
काट रही है उसका हृदय नफरत की छुरी से,
हो सकता है यह प्रेमी पुरूष,
उसका पिता, उसका भाई,
या फ़िर उसका पति,
नकार चुकी है जिस का अस्तित्व वह,
उस जैसी और नारियां,
भाग रही हैं उसके पीछे,
तालियाँ बजाती हुई,
उस की हाँ में हाँ मिलाती हुई,
शामिल होने को उस की फौज में,
जीतने को पुरूष और समाज को,
नफरत के हथियार से.
है ईश्वर,
बुद्धि दो इन भ्रमित नारिओं को,
कभी जीता है कोई नफरत से?
जो यह जीत पाएंगी.
क्यों हो तुम अनाम प्रिय
क्या नाम ना दे पाये
वो तुमको जो इस दुनिया मे लाये
अगर सुजाता मे माँ को देखते तुम
तो पाते की तुम को हमेशा नाम मिले
इसी लिये हर माँ अपनी बेटी को
मजबूत बनाती हैं
ताकि पुरूष की कमजोरी
किसी अनाम को अगर
पैदा भी कर दे
तो चोखेर बाली बन
हर सुजाता उसको अपना नाम दे सके
सुजाता और ताली बजाती
सब की जिनका तुम
उपहास करते नज़र आते हो
उन्ही की कोख से तुम जनम पाते हो
दूध पहला जिनका पी कर
तुम दुनिया से लड़ने की ताकत पाते हो
उनके ही ऊपर अनाम बन कर लाछन लगते हो
और आगे कहूं तो दुःख इस बात का है कि कन्या भ्रूण हत्या करने वाले सब पढ़े-लिखे हैं और पैसे वाले हैं. क्यों करते हैं यह ऐसा? क्या ईश्वर से नहीं डरते यह लोग? कल इन का भी न्याय होगा.
This is a fact . I have seen such incidents in my surroundings...in my neighbours......
रचना, तुमने मुझे निराश किया. अनाम मेरा दोस्त है और उसे मैंने ही इस ब्लाग पर भेजा था. उसका पूरा नाम है अनाम रतनाकर. उस ने केवल इतना ही कहा था कि नफरत से कुछ हासिल नहीं होता. चोखेरवालिओं के समर्थ होते हुए भी अच्छे परिणाम नहीं मिलेंगे क्योंकि उन में पुरुषों और समाज के प्रति नफरत की भावना है. तुमने उसे, उसके माता-पिता को गालियाँ दे डालीं.
suruchi
kavita kaa jwaab kavita sae diya haen baaki aap ko adhikaar haen shabdo ko apne hissab sae samjhney kaa . yaahan maa ko gali nahin maa ki prashanssa hee kee gayaa haen
surchi
also agar aap ka aadesh ho to mae apni kavita ko turant hataa dungii
aap yahii aadesh dae naari blog par is sasey sambandhit aadesh naa dae
रचना, मैं आदेश देने वाली कौन होती हूँ? अनाम और मेरा सिर्फ़ यह कहना है कि हम पूरी सामाजिक व्यवस्था और हर पुरूष से नफरत करके नारियों की कोई मदद नहीं कर रहे, बल्कि जो नारी प्रगति के समर्थक हैं उन्हें भी व्यर्थ में नारियों के ख़िलाफ़ कर रहे हैं. चोखेरवाली समाज और पुरूष वर्ग के ख़िलाफ़ एक जिहाद बनता जा रहा है. अगर ताहि उद्देश्य है इस का तब तो ठीक है. पर मेरी जैसी नारियां इस संगर्ष में आप लोगों के साथ नहीं हैं. मैं प्रेम से सबको जीतने के पक्ष में हूँ.
suruchi ji
chokehr baali ki naa to mae sadsya hun aur naa yae blog mera haen . so iska " गर ताहि उद्देश्य है इस का तब तो ठीक है" kae baarey mae mae kuch bhi nahin keh paaungi . yae mera swabhaav haen ki kisi stri kae upar agar kament hota haen galat to bol kar mae apni ashemati darj karaa tee hun . bas wahii kiya . aap kehay trant hataa dungi
Mr anonymus....
facts have to be said & spoken .Society has to see its negative aspect.If we hide something ,doesn't mean it does not exist.....
neelima who really is bothered about facts . and we are merely sitting here and doing clap clap and clap
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