रांची में रहने वाली अनीता वर्मा इस समय हिन्दी में लिख रहे सारे कवियों में मुझे अलग नज़र आती हैं - कवियोचित अतिसंवेदनशीलता, गहरी उदात्तता और चीज़ों को समूचे पसमंजर में देख-रख-परख पाने वाली दुर्लभ किन्तु विनम्र निगाह. इस अतिप्रिय रचनाकार की यह कविता चोखेर बाली पर लगाने की मुझे लम्बे समय से बड़ी इच्छा थी पर उनका संग्रह कोई ले गया था. 'एक जन्म में सब' नाम का यह अद्भुत संग्रह कल ही वापस आया.
स्त्रियों से
जब कुछ ही समय बाद डूब जाएगी यह पूरी सदी
बीज और घास की क़िस्में हमें पुख़्ता कर लेनी हैं
भूली हुई कोमलता की गोद कितनी बड़ी करनी है
इसे देखना है शुरू के दिन से
जब सहीं थीं न मालूम कितनी यातनाएं
कई तरह के आंसू बहाये थे
जब उनके नियमों से ख़ास स्त्री थी
अभी शायद सांस लेने का और मुक्त होने का
फ़र्क़ भी नहीं कर पाए हम
अगर यह वही है जो है उनके पास
तब तो वे हैं चिरकाल से मुक्त
पर स्थितियों का बदलना क्या इतने बड़े शब्द को
अर्थवान कर सकता है
रखनी होगी हवाओं के घर में हमें
वह पारदर्शी सुनहरी नदी
जिसके तट पर प्यार खड़ा है
अपने भीतर गुम न होते हुए टीले पर से
पकड़नी होगी बच्चे की छोटी उंगली
एक समूह जो जीवित है दर्द में
उसका एक हिस्सा बनकर अपनी निविड़ताओं से
निकाल लानी होगी उजली हंसी
नदियों का साफ़ बहता पानी आईने सी धूप
यह लौटना सचमुच लौटना हो अपने घर
घर जो बहुत बड़ा है.
---------------
अनीता जी की कविताएं यहां भी हैं:
प्रभु मेरी दिव्यता में सुबह-सबेरे ठंड में कांपते रिक्शेवाले की फटी कमीज़ ख़लल डालती है
प्रार्थना
वान गॉग के अन्तिम आत्मचित्र से बातचीत
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
अनुप्रिया के रेखांकन
स्त्री को सिर्फ बाहर ही नहीं अपने भीतर भी लड़ना पड़ता है- अनुप्रिया के रेखांकन
स्त्री-विमर्श के तमाम सवालों को समेटने की कोशिश में लगे अनुप्रिया के रेखांकन इन दिनों सबसे विशिष्ट हैं। अपने कहन और असर में वे कई तरह से ...

-
चोखेरबाली पर दस साल पहले हमने हाइमेन यानी कौमार्य झिल्ली की मरम्मत करने वाली सर्जरी के अचानक चलन में आने पर वर्जिनिटी / कौमार्य की फ़ालतू...
-
ममता सिंह नवरात्रि आने वाली है देवी मैया के गुणगान और कन्याओं की पूजा शुरु होने वाली है, हालांकि कोरोना के कारण धूमधाम...
-
हिंदी कहानी के इतिहास में उसने कहा था के बाद शेखर जोशी विरचित कोसी का घटवार अपनी तरह की अलग और विशेष प्रेमकहानी है। फौ...
7 comments:
very nice poem....indeed..
kavita dil ko chhu gai hai....
bahoot khoob
कितना अच्छा लगता है लौटना अपने घर, वह घर जो बहुत बड़ा है, प्यार का समुन्दर, खुले आकाश का एहसास.
सचमुच आईने सी धूप
और उजली सी हँसी
जैसी ही है यह कविता.
इस श्रेष्ठ चयन और
सजग-समर्थ
प्रस्तुति के लिए बधाई.
==================
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
बहुत शानदार
Bahut sunder.
जन्माष्टमी की बहुत बहुत वधाई
Post a Comment