अरे राय जी तो पागल हैं, हमेशा क्लास में फोटो-कॉपी बॉंटते रहते हैं, केवल सेमिनार आयोजित कराने से क्या होता है, हमारे बीच स्टाफ-रूम में तो कभी बैठते नहीं..........., अरे मोहनलाल जी फर्स्ट ईयर की क्लास तो आजकल बिल्कुल मिस नहीं करते, सुना है, उनके क्लास की वह स्टूडेंट मिस फेमिना के लिए चुनी गई है, अपना तो लक ही खराब है, पिछले पॉंच साल से लड़को को ही पढ़ा रहा हूँ, और जो स्टूडेंट आई भी, उनका रूप तो माशाअल्लाह........., और मिसेस लता का क्या कहना, क्लास के बाद कॉमर्स के रमण बाबू के साथ उनकी कार में बैठकर न जाने कहॉं की हवा खा रही हैं........अरे वाह, जूते तो ब्रांडेड लग रहे हैं, किस कंपनी के हैं, और सर्ट.....,इस प्रकार कुछ और भी अंतरंग मुद्दे थे जिनके बारे में मैं बता नहीं सकता। जब स्टाफ-रूम में कोई महिला शिक्षक नहीं होती तो शिक्षकों के मुँह से आपको गाली तक सुनाई पड़ सकती थी, और महिला शिक्षकों की काया पर टीका-टिप्पणी तो श्रृंगार रस में डुबो-डुबोकर की जाती थी। ऐसे माहौल में वहॉं बैठकर अगली क्लास का इंतजार करना नारकीय हो जाता था।
आगे पढें जितेन्द्र भगत की पूरी पोस्ट ।
क्या आपका ऑफिस या स्टाफरूम इससे अलग है , यदि है तो हमसे उसका विवरण बांटें !नहीं है ! तो कैसा है हमें यह भी बताएँ!
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1 comment:
मैं तो टीचर नहीं रहा, सरकारी सेवा में रहा. इस लिए स्कूल के स्टाफ रूम में क्या होता है नहीं जानता. पर महिला कर्मचारियों के बारे में पुरूष कर्मचारी क्या बातें करते हैं जानता हूँ. एक पुरूष होने के नाते मैं उस पर शर्मिंदा होता रहा हूँ.
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