इसी सिलसिले में एक मज़ेदार उत्तर-आधुनिक किस्सा है-
एक आदमी रोज़-रोज़ नौकरी करते-करते थक गया, ऊब गया। उसे अपनी घरेलू बीवी से रश्क होने लगा कि वह सारा दिन मज़े से घर में रहती है। उसने भगवान से प्रार्थना की कि हर दिन आठ घंटे की नौकरी के बजाए उसके शरीर को उसकी पत्नी के शरीर से बदल दें ताकि वह बिना नौकरी की चिंता के घर में सारा दिन बिता सके।

भगवान ने उसकी सुन ली। अगले दिन जब वह सोकर उठा तो वह औरत बन चुका था। उसने सबके लिए नाश्ता बनाया, बच्चों के जगाया, उन्हें स्कूल के लिए तैयार किया, उन्हें नाश्ता कराया, उनको टिफिन दिया, उन्हें बस में चढ़ा कर लौटा और घर की सफाई और कपड़ों की धुलाई में लग गया। फिर बिजली का बिल जमा करने निकला तो रास्ते में बैंक में चेक भी जमा कर दिया। घर के लिए सब्जी और राशन खरीदा और घर लौट कर उसे व्यवस्थित कर लिया। तब तक एक बजा चाहता था, वह रसोई में जुट गया। खाना बना कर निकला तो बच्चों को लाने का समय हो गया था। रास्ते में उसकी बच्चों से झड़प हो गई। घर में उन्हें खाना देकर होमवर्क करने बैठाकर उसने इस्त्री का काम उठा लिया। इस बीच टीवी भी चला दिया ताकि अपना मनपसंद सीरियल देख पाए।
अब शाम होने लगी तो उसने सूखे कपड़े तह किए, बच्चों का बिखरा सामान समेटा, बच्चों को दूध-नाश्ता देकर खेलने भेजा और खुद रसोई में जुट गया क्योंकि रात के खाने पर पत्नी के मित्र आने वाले थे। इधर मेहमानों को संभाला, उधर ऊंघते बच्चों को किसी तरह खिला कर सुलाया ताकि अगली सुबह वे स्कूल के लिए समय पर जाग पाएँ।
मेहमानों के जाने तक वह थक कर चूर हो चुका था। हालांकि उसके कुछ काम अब भी बाकी थे लेकिन हिम्मत नहीं। उन्हें छोड़ वह सोने चला गया। लेकिन वहां उसकी बीवी इंतज़ार में थी। उसे अपना वैवाहिक कर्तव्य भी निभाना था जो कि उसने बिना शिकायत किए पूरा कर लिया।
अगली सुबह जैसे ही उसकी आंख खुली, वह भगवान के सामने फिर नतमस्तक था, लेकिन इस बार उसने फिर से पुरुष हो जाने का वरदान मांगा- ‘हे भगवान, मैं गलतफहमी में था, मुझसे भूल हुई। घर पर रहने का मज़ा मैंने चख लिया अब मुझे फिर से पुरुष बना दो।’
भगवान ने कहा,- ‘वत्स, मुझे खुशी है कि तुम्हें वास्तविकता का पता चल गया है। अब तुम्हें फिर पुरुष बनाने में मुझे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन तुम्हें नौ महीने तक इंतज़ार करना पड़ेगा। तुमने कल रात गर्भ धारण कर लिया है’!
7 comments:
मर्म के साथ सत्य का
साक्षात्कार कराती सहज
किंतु अर्थ गर्भ कथा.
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन
इतनी अच्छी और सच्ची कथा को ईनाम देने को जी चाहता है।
यह भगवान की ट्रिक थी। देखना छापा उस अल्ट्रासाउंड सेंटर पर पड़ेगा जहां वह बच्चे का लिंग परीक्षण कराने जाएगी। जाएगा.
बहुत ही मार्मिक कथा । पुरुषों को सीख देती हुई ।
किस्सा बाकी मजेदार है. इस से जो सीख मिलती है उस से सब पुरूष परचित भी हैं, इसलिए हकीकत में कोई पुरूष भगवान् से ऐसा वरदान नहीं चाहेगा.
बहुत बहुत अच्छी कहानी, जो दिल में उतर गई,
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