हाल ही में सौम्या मर्डर केस & अन्य सोचने पर विवश करते हैं कि घर से बाहर नारी सुरक्षित नही ....जो चिंताजनक स्थिति है ...देश की आधी आबादी में भय है राजधानी में सबसे अधिक असुरक्षा है तो देश के अन्य शहरों में क्या होगा ....??? ----नीलिमा गर्ग
जनता के जान-माल की सुरक्षा का दायित्व सरकार पर है पर यहाँ तो सरकार की मुखिया ही सौम्या को उसकी अपनी मौत का जिम्मेदार ठहरा रही है. आज जनता न घर में सुरक्षित है, न घर के बाहर. कामकाजी महिलायें क्या करें, कहाँ जाएँ? इस ब्लाग पर सौम्या के खून और दिल्ली की मुख्य मंत्री के बयान पर कोई पोस्ट नहीं आई. आज आपने इस विषय पर कुछ कहा है.
its a very serious problem and we need to find a way, i think that being alert,and prepared, avoiding the situations, like going out alone at night, may be done or wewe must prepare a list of to do or not to do and circulate it on this blog for everybody's benefit, here it is not a question of gender equality or anything but simply a safe life for every citizen.
आशाजी, औरत घर द्वारे भी कहाँ सुरक्षित है ? उसे तो माँ की कोख में दफन कर दिया जाता है। कन्या जिमाना और पूजना नवरात्रों का सबसे बड़ा ढकोसला है। हकीकत यह है : यत्र नारियात्सू पीतंते रमन्ते तत्र भारतीय।
@औरत घर द्वारे भी कहाँ सुरक्षित है ? उसे तो माँ की कोख में दफन कर दिया जाता है। कन्या जिमाना और पूजना नवरात्रों का सबसे बड़ा ढकोसला है। हकीकत यह है : यत्र नारियात्सू पीतंते रमन्ते तत्र भारतीय।
आज समाज में सुरक्षा की समस्या है इस से कोई इनकार नहीं कर सकता. यह भी सही है कि कुछ कन्यायों को माँ की कोख में ही दफन कर दिया जाता है। पर इस के लिए पूरे समाज पर इल्जाम नहीं लगाया जा सकता. कन्या जिमाना और पूजना सब के लिए नवरात्रों का ढकोसला नहीं है. जिसे हकीकत कहा जा रहा है वह पूरी हकीकत नहीं है. ऐसा कह कर सारे भारतीयों पर इल्जाम लगाना सही नहीं है.
9 comments:
बिलकुल सहमत हूँ आपसे । जब दिल्ली का ये खस्ता हाल है तो और जगह की बात ही क्या ? चिंताजनक स्थिति
यह केवल नारी सुरक्षा का ही नहीं समूची जन सुरक्षा का प्रश्न है।
May be we need to be more prepared for such circumstances. Alert, self defencive, and still careful.
जनता के जान-माल की सुरक्षा का दायित्व सरकार पर है पर यहाँ तो सरकार की मुखिया ही सौम्या को उसकी अपनी मौत का जिम्मेदार ठहरा रही है. आज जनता न घर में सुरक्षित है, न घर के बाहर. कामकाजी महिलायें क्या करें, कहाँ जाएँ? इस ब्लाग पर सौम्या के खून और दिल्ली की मुख्य मंत्री के बयान पर कोई पोस्ट नहीं आई. आज आपने इस विषय पर कुछ कहा है.
भेडिए अब सुरक्षित मांद मे घुसकर रहते है और मौका देखकर अपनी पीढी का ही शिकार कर रहे है।इन भेडिए को उनकी औलादे ही सबक सिखाएगी।
smasya gambhir he
makrand
its a very serious problem and we need to find a way, i think that being alert,and prepared, avoiding the situations, like going out alone at night, may be done or wewe must prepare a list of to do or not to do and circulate it on this blog for everybody's benefit, here it is not a question of gender equality or anything but simply a safe life for every citizen.
आशाजी, औरत घर द्वारे भी कहाँ सुरक्षित है ? उसे तो माँ की कोख में दफन कर दिया जाता है। कन्या जिमाना और पूजना नवरात्रों का सबसे बड़ा ढकोसला है। हकीकत यह है : यत्र नारियात्सू पीतंते रमन्ते तत्र भारतीय।
@औरत घर द्वारे भी कहाँ सुरक्षित है ? उसे तो माँ की कोख में दफन कर दिया जाता है। कन्या जिमाना और पूजना नवरात्रों का सबसे बड़ा ढकोसला है। हकीकत यह है : यत्र नारियात्सू पीतंते रमन्ते तत्र भारतीय।
आज समाज में सुरक्षा की समस्या है इस से कोई इनकार नहीं कर सकता. यह भी सही है कि कुछ कन्यायों को माँ की कोख में ही दफन कर दिया जाता है। पर इस के लिए पूरे समाज पर इल्जाम नहीं लगाया जा सकता. कन्या जिमाना और पूजना सब के लिए नवरात्रों का ढकोसला नहीं है. जिसे हकीकत कहा जा रहा है वह पूरी हकीकत नहीं है. ऐसा कह कर सारे भारतीयों पर इल्जाम लगाना सही नहीं है.
Post a Comment