'पाश'(अवतार सिंह संधु)
अर्चना की कविता त्रासद पढ़ने के बाद बेसाख्ता पाश की यह मशहूर कविता याद आ गई और मैं सबको फिर एक बार इसे पढ़वाने से खुद को रोक नहीं पा रही हूं। मुझे अंदाज़ा है कि त्रासदी कविता को यहां पर आए कुछ ही घंटे हुए हैं और उस पर सबसे खतरनाक... को चेप कर मैं उसके साथ न्याय नहीं कर रही। फिर भी...। उम्मीद है, सब इस जानदार कविता को पढ़ने के बाद आप मुझे इस हिमाकत के लिए माफ करेंगे।
मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती,
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती,
गद्दारी, लोभ का मिलना सबसे खतरनाक नहीं होता,
सोते हुये से पकडा जाना बुरा तो है,
सहमी सी चुप्पी में जकड जाना बुरा तो है,
पर सबसे खतरनाक नहीं होता,
सबसे खतरनाक होता है मुर्दा शान्ति से भर जाना,
न होना तडप का सब कुछ सहन कर जाना,
घर से निकलना काम पर और काम से लौट कर घर आना,
सबसे खतरनाक होता है, हमारे सपनों का मर जाना ।
सबसे खतरनाक होती है, कलाई पर चलती घडी, जो वर्षों से स्थिर है।
सबसे खतरनाक होती है वो आंखें जो सब कुछ देख कर भी पथराई सी है,
वो आंखें जो संसार को प्यार से निहारना भूल गयी है,
वो आंखें जो भौतिक संसार के कोहरे के धुंध में खो गयी हो,
जो भूल गयी हो दिखने वाली वस्तुओं के सामान्य
अर्थ और खो गयी हो व्यर्थ के खेल के वापसी में ।
सबसे खतरनाक होता है वो चांद, जो प्रत्येक हत्या के बाद उगता है सूने हुए आंगन में,
जो चुभता भी नहीं आंखों में, गर्म मिर्च के सामान
सबसे खतरनाक होता है वो गीत जो मातमी विलाप के साथ कानों में पडता है,
और दुहराता है बुरे आदमी की दस्तक, डरे हुए लोगों के दरवाजे पर ।
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7 comments:
मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती,
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती,
गद्दारी, लोभ का मिलना सबसे खतरनाक नहीं होता,
सोते हुये से पकडा जाना बुरा तो है,
सहमी सी चुप्पी में जकड जाना बुरा तो है,
पर सबसे खतरनाक नहीं होता,
paash ki ye kavitaa padhwane ke liye aabhar.
बहुत अच्छी कविता पढ़वाई है आपने । धन्यवाद ।
घुघूती बासूती
पाश की प्रसिद्ध रचना पढ़वाने के लिये हार्दिक आभार।
महिलाओं ही नहीं, हम सब की वास्तविक मुक्ति का रास्ता पाश के रास्ते से अलग नहीं है।
पाश की प्रसिद्ध रचना पढ़वाने के लिये हार्दिक आभार।
महिलाओं ही नहीं, हम सब की वास्तविक मुक्ति का रास्ता पाश के रास्ते से अलग नहीं है।
अच्छी कविता पढ़वाने का आभार। मुझे ये पंक्तियाँ विषेष तौर पर पसन्द आयीं-
वो आंखें जो संसार को प्यार से निहारना भूल गयी है,
वो आंखें जो भौतिक संसार के कोहरे के धुंध में खो गयी हो,
जो भूल गयी हो दिखने वाली वस्तुओं के सामान्य
अर्थ और खो गयी हो व्यर्थ के खेल के वापसी में ।
पूरी कविता हिलाकर रख देती है. खासकर - सबसे खतरनाक होता है, हमारे सपनों का मर जाना । सार्थक कविता के लिए. सम्भव हो तो 'पाश' (अवतार सिंह संधु) का परिचय भी दें.
complete poetry and other writings and much more about Paash in different languages is available at my blog http://paash.wordpress.com
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