मेरे आस-पास की औरतें
अब बदल रहीं हैं,
औरतपन बरक़रार रखते हुए भी,
अपना अलग इतिहास लिख रहीं हैं,
मेरे आस-पास की औरतें
अब बेटियों को अपनी,
उतरन की विरासत सोंपने की बजाय
नया लिबास गढ़ते हुए
उसकी आंखों में
अपने सपने भर रहीं हैं,
मेरे आस-पास की औरतें
जो काली परछाइयों सी
दीवारों पर लटकी थीं,
अब दिन के उजाले में
वजूद का अहसास दिला रहीं हैं,
मेरे आस-पास की औरतें
बड़ी पापड़ सुखाते हुए,
रगड़ रगड़ कढ़ाई चमकाते हुए,
सजती निखरती हुई,
आईने में ख़ुद को देख इतरा रहीं हैं,
मेरे आस-पास की औरतें
इतना सब होते हुए भी
हर बारिश के बाद
परम्पराओं की संदूकची से
संस्कारों के पुराने कपड़े निकाल
धूप दिखा रहीं हैं ।
10 comments:
भारतीय महिलाओं के लिए यह
कविता अपने वर्ग में सर्वश्रेष्ठ है
बेहतरीन कविता
बेहतरीन कविता है।
reflects a genuine concern of all right thinking people!
मन को मोरा झकझोरे छेड़े है कोई राग
रंग अल्हड़ लेकर आयो रे फिर से फाग
...
हिंदी ब्लोगेर्स को होली की शुभकामनाएं और साथ में होली और हास्य
धन्यवाद.
ये बड़ी सुंदर कविता लगी...नारी उत्पीड़न से बाहर आ कर, उजाला दिखाती हुई...वाह!
सभी को इंडियन वेलेंटाइन डे यानि होली मुबारक !
बेहतरीन कविता!
Choker Bali ki puri team ko meri taraph se Holi ki dheron shubkamnayen.
बहुत सुंदर सामयिक कविता ।
good poem...
Post a Comment