बालिका दिवस की सभी को बहुत बहुत बधाई .......
Thursday, September 24, 2009
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अनुप्रिया के रेखांकन
स्त्री को सिर्फ बाहर ही नहीं अपने भीतर भी लड़ना पड़ता है- अनुप्रिया के रेखांकन
स्त्री-विमर्श के तमाम सवालों को समेटने की कोशिश में लगे अनुप्रिया के रेखांकन इन दिनों सबसे विशिष्ट हैं। अपने कहन और असर में वे कई तरह से ...

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3 comments:
aakhir kab tak kisi tarikh me bandh kar rakhenge??? DIVAS ka matlab kya ????
मेरी भी ओ प्यारी बच्चियों.....और इस आशा के साथ तुम भविष्य में तमाम लड़कों को पीछे छोड़ कर स्त्री का झंडा समूचे जगत में फहरा दो....!!
औरत क्या है जब ये सोचता हू तो
तो यही सोच दिमाग मे़ आती है -
औरत क्या नही है, औरत धरती है
औरत एक बच्चे का आसमान है
औरत एक समाज की धुरी है
औरत एक सभ्यता का जीवित स़स्कार है
औरत मा की ममता है, आन्चल का दूध है
बिना वाप के बच्चो़ का पिता भी है
औरत गुरु है, ग्यान है, गरिमा है
औरत बेटी है, रन्गोली है, आन्गन की तुलसी है
औरत से घर मे़ मनते सब त्योहार है
औरत गीत है कविता है गज़ल है
औरत मानवता की किताब के पन्नो पे
लिखा एक सुनहरा ललित निबन्ध है
औरत हा औरत ही वो अद्भुत शक्ति है
जो एक शरीर से कई शरीर बना सकती है
भगवान ने कुल एक औरत पैदा की
वो औरत है जिसने कई भगवानो और
अनगिन भाग्यवानो को जन्म दिया
दुनिया मे औरत पे उन्गली उठाने बालो
औरत है तो ये दुनिया है उसके बिना
आदमी तो क्या आदमी का जीवास्म नही होता
औरत के जिस्म को देख के विमर्श करने बालो
औरत को देखना है तो दुर्गा के अवतारो को देखो
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