रुखसाना ने जो किया है, वो कितना अद्भूत कारनामा है!
रुखसाना ने अपने घर में घुस आए आतंकवादियों को उन्हीं की राइफल से भून डाला है। जम्मू कश्मीर के कौसर जिले में रहने वाली रुखसाना 18 साल की है।
रुखसाना के मामले में आज फिर से एक बात साबित हो गई। मैं हमेशा यह मानती रही हूं कि जिस लड़ाई को आप अपनी आखिरी लड़ाई मान कर लड़ते हैं, उसमें आपकी जीत होती ही है। मेरा मानना है कि लड़ाई जीतने के लिए नहीं लड़ी जानी चाहिए। न ही किसी को हराने के लिए लड़ी जानी चाहिए।
लड़ाई कोई एक मूल्य (या मूल्यों का समुच्चय) 'स्थापित'करने के लिए लड़ी जानी चाहिए। रुखसाना के केस में यह मूल्य जीवन था, जिसे मौत के ऊपर स्थापित किया जाना था। किए जाने की आखिरी कोशिश करना था।
एक बात और बांटना चाहती हूं। रुखसाना के केस में भी देखा। जब आप यह मान लेते हैं कि यह आपकी आखिरी लड़ाई है और इस लड़ाई का फैसला उस फैसले से बड़ा नहीं जो आप खुद ले चुके होते हैं, तो जीत आपकी ही होती है। हर चीज आपकी होती है। यह संभवत: गुरुमंत्र हो सकता है, किसी का भी।
रुखसाना ने आपबीती में जो बताया, उसके अनुसार, जब उसने देखा कि आतंकवादी उसके माता पिता को जोर जोर से मार रहे हैं और फिर उसे भी कुछ देरसबेर में मार ही दिया जाएगा, तब वह अपने बचे खुचे जीवन की आखिरी लड़ाई लड़ने के लिए चारपाई के नीचे से निकल कर आतंकवादियों के सामने आ खड़ीहुई थी। राइफल से पहले वह दो आतंकवादियों पर कुल्हाड़ी से वार कर चुकी थी।
लेकिन यहां एक बात और। रुखसाना की कहानी से एक बार फिर यह पुष्ट हुआ है कि आप हर लड़ाई को आखिरी मान कर नहीं लड़ पाते। ऐसा लगता है यह
संभव ही नहीं। आप चुनिंदा लड़ाईयां ही आखिरी लडा़ई मान कर लड़ पाते हैं। यह और बात है कि यह चुनिंदा लड़ाईयां कौन सी होती हैं, यह हम अचानक एक
दिन/एक क्षण/एक घंटे में तय कर लेते हैं।
वैसे 'चाहिए'शब्द बड़ा ही भाषणबाजी और आदर्शवादी टाइप हो जाता है। पर हम सब अपने जीवन में दो ड्राफ्ट्स के साथ जीते हैं। पहला, हमारा अपना बनाया हुआ। दूसरा, ईश्वर/परिस्थितियों का बनाया हुआ। यह -चाहिए- शब्द नॉन-सिचुएशनल ड्रॉफ्ट का हिस्सा है। यानी, अपने बनाए गए ड्रॉफ्ट का हिस्सा है। इस ड्रॉफ्ट के लिए कुछ चाहिए- टाइप चीजें जरूरी होती हैं, ऐसा लगता है।
रुखसाना के बारे में एक बात और पढ़ी। कि, वह अब काफी इनसिक्योर है और उसे लगता है कि उसके वर्तमान ठिकाने पर पुलिस आदि की सुरक्षा देने की बजाए सरकार और सुरक्षाबलों को चाहिए कि उन लोगों को कहीं दूसरी जगह भेज दिया जाए। अभी तक तो उसकी यह बात मानी नहीं गई है। आतंकवाद जब
वीवीआईपी के सुरक्षा चक्र को भेद डालता है तो रुखसाना चंद पुलिसवालों के बीच सुरक्षित होगी, इसकी उम्मीद बहुत कम है। समय बीतने के साथ सुरक्षा घेरा
सुरक्षा मुहैया करवाना यदि खानापूर्ति करने की जरूरत है तो वह किए जाने की कोई जरूरत नहीं है। रुखसानाओं को खानापूर्तियों की जरूरत नहीं है।
-POOJA PRASAD
23 comments:
we bow salute to Rukhshana, u were t great!
we bow salute to Rukhshana, u were t great!
रुकसाना और उसके परिवार को दहशत में रहने मजबूर क्यों कर रही है सरकार?
अच्छी टिप्पणी है। धन्यवाद।
रुखसाना की अद्भुत बहादुरी के लिए उनको सलाम !!!
एक बात और- ऐसी लड़ाइयों में 'हार' भी जीत जितनी ही बड़ी, महत्वपूर्ण और श्रद्धेय होती है क्योंकि उसका इरादा ऊंचा होता है।
सरकार तंत्र की (अ)कार्रवाई का मसला पिर भी रहता है।
sach to yh hai ki aaj rukhsana ko suraksha ki sakht jrurat hai na ki srkar dvara diye gye purskaro ki .uske aur uske privar ko sbhi tarh ki surkhsh jaldi se jldi prdan ho .
jisse uska mnobal brkrar rhe .
sarthk akekh .
abhar
रुख्साना ने जो किया वो सचमुच अद्भुत कारनामा है। मेरा भी सलाम है रुख्साना को
"जिस लड़ाई को आप अपनी आखिरी लड़ाई मान कर लड़ते हैं, उसमें आपकी जीत होती ही है।"
बहुत सार्थक बात
क्या हमारी सरकारें और सुरक्षाबल इसी तरह से वीरता का सम्मान करते रहेंगे, कि उन्हें काफी हद तक उनके हाल पर छोड़ दिया जाए????????????
प्रणाम स्वीकार करें
@ शोभना, सही कह रही हैं आप. ये पुरस्कार वुरुस्कार दे कर असल जरुरत को तो दबाया जा रहा है! उस पर से ध्यान हटाया जा रहा है! पुरस्कार से ज्यादा जरुरी है कि उन्हें सुरक्षा दी जाए, ताकि घाटी के बाकी लोगों और परिवारों का मनोबल बढ़े कि अगर वे अपनी कुरबत पर आतंकवादियों से भिड़ते हैं तो सरकारी एजेंसियों से उन्हें सपोर्ट मिलेगा..।
rukhsana kee ladai ki spirit ko behad khoobsoorti se vyakt kiya apne pooja. anuradha ne is tippanee ki spirit ko thoda aur vistaar diya. achchhee vichar shrinkhala... dhanyavaad
रुखसाना की हिम्मत को सलाम!
पूजा तुम्हारी सोच मुझे बहुत अच्छी लगी। बेहतरीन अंदाज में तुमने रुकसाना को ज़रिया बनाकर चाहिए शब्द के ड्राफ्ट्स को बखूबी पेश कर डाला। वैसे बात रुखसाना की है तो मैं रुखसाना के जज़्बे को सलाम करती हूं। लेकिन, इन सबसे परे ये बात सबसे ऊपर है कि रुखसाना की हिम्मत से बहादुरी का परिचय तो मिला, जानें भी बचीं...लेकिन शायद उसे सुरक्षा मिल भी जाती है तो भी उसकी बाकी ज़िंदगी डर के साए में ही बसर होगी। उसकी बहादुरी के गुण गाने की बजाए रुखसाना सरीखी लड़कियों की सुरक्षा समय की सबसे बड़ी मांग है।
वैसे पूजा जी, छोटे-मोटे आतंकवादी (आतंक फैलाने वाले) महिलाओं के आसपास हमेशा होते हैं। जरूरत है रुखसाना की हिम्मत अपने भीतर पैदा करने की। फिर देखें कि ये टुच्चे किस्म के महिमा मंडन से घिरे आतंकवादी कैसे पराजित होते हैं
रुखसाना को सलाम
हिम्मत को सलाम
http://hariprasadsharma.blogspot.com/
Shabash Rukhsana!
Agar Rukhsana ke liye hum sarkar se suraksha milne ki maang kar rahe hain to hume yah bhi yaad rakhna chahiye ki yah sarkar ki akshamta hi thi ki Rukhsana ko hathiyaar uthane par majboor hona pada.Jis sarkari tantr ne Rukhsana ko hathiyaar uthane par majboor kiya wo kya khaak use suraksha de payega.
hame ruksaana par naaz hai aur desh ki sarkaar ko bhi seriously sochna chahiye unki familyu ki safty ke liye taki ..aur ruksaana desh ke liye fauzi ka zazba rakhe ..
bahut sundar post ke liye meri badhai sweekar karen..
regards
vijay
www.poemsofvijay.blogspot.com
hame ruksaana par naaz hai
रुखसाना को सलाम
हिम्मत को सलाम.
भारत में कितनी रुखसाना हैं ???????
रुखसाना को हर भारतीय का सलाम है । सरकार को चाहिये कि कोरी तारीप न करके उसे सुरक्षा मुहैया कराये और वीरचक्र भी दै आखिर एक खूँखार आतंकवादी का निहत्थे सामना किया और उसी की राइफल से उसे मार गिराया । हमें चोखेर बाली की तरफ से प्रधानमंत्री और सोनिया जी को सीधा निवेदन करना चाहिये ।
सार्थक लेखन हेतु बधाई ......
rukhasana ne jo kiya vakai kabile tarif hai us bahaduri ko salam karne ke liye aapki lekhani ne jo shabd parcham faharaya hai use hamara naman. har deshvasi ka salam tab hoga jab tak rukhasana ko suraksha nahi mil jati is mudde ko jivant rakhen.
badhaiya
शाबाश!
इस टिप्पणी के माध्यम से, सहर्ष यह सूचना दी जा रही है कि आपके ब्लॉग की इस पोस्ट को प्रिंट मीडिया में स्थान दिया गया है।
अधिक जानकारी के लिए आप इस लिंक पर जा सकते हैं।
बधाई।
बी एस पाबला
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