बीते दिनों रुखसाना की बहादुरी के किस्से सभी की जुबान पर रहे। वाकई हिम्मत की बात है। लगा कि देश से अभी लड़कियों में स्वाभिमान, वीरता जैसे गुण समाप्त नहीं हुए हैं। इस तरह के अन्य उदाहरणों की खोज में हम लगे भी रहे कि और भी कुछ मिले जिससे रुखसाना जैसी लड़कियों को और भी प्रोत्साहन मिल सके। यहाँ बुन्देलखण्ड में भी कुछ युवा लड़कियों के वीरतापूर्ण कारनामें सुनने को मिले। इनके बारे में फिलहाल बाद में।
आज इस पोस्ट के साथ एक छोटा सा वीडियो भी है जो खुद हमारी लापरवाही से पूरी तरह फिल्माया नहीं जा सका। कोई दो-तीन दिन पहले की बात होगी। फुर्सत के पलों में बैठे-बैठे टी0वी0 पर चैनल इधर-उधर कर रहे थे। इसी में सोनी चैनल पर रुक गये। इंटरटेनमेंट के लिए कुछ भी करेगा (शायद यही नाम था कार्यक्रम का) चल रहा था। एक लड़की आते दिखी जो वैसाखी से चल कर आ रही थी। मन में कौतूहल उठा कि देखें कि वैसाखी पर चलकर आती यह लड़की क्या विशेष करेगी।
दिमाग में था कि ये लड़की गाना वगैरह गायेगी। कार्यक्रम की एंकर ने बताया कि वह लड़की कराटे में ब्लैक बेल्ट है तो और भी जिज्ञासा जागी। लड़की आई, उसके लिए कुरसी मँगवाई गई, उस पर उसने बैठ कर बताया कि किसी बीमारी के कारण घुटने के ऊपर से उसका एक पैर काटना पड़ा। वह नृत्य भी कर लेती थी। पैर के कटने के बाद उसके पति ने उसे भरपूर सहयोग दिया और वह अपने नृत्य को बराबर जारी रख सकी।
और भी बहुत बताने के बाद उस लड़की ने बिना वैसाखी के, एक पैर के सहारे से नृत्य करना शुरू किया। उस लड़की की हिम्मत के आगे हम स्वयं वशीभूत होकर कार्यक्रम देखने लगे। अगले ही पल ख्याल आया कि ऐसे विशेष पलों को तो कैमरे में कैद करना चाहिए। जब तक हम कैमरा उठाते, फिल्म बनाते, तब तक बहुत सा हिस्सा निकल चुका था। इस कार्यक्रम में केवल एक मिनट मिलता है अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए। इसमें से कुछ सेकेंड निकल गये थे। जो बचे उन्हें हम फिल्मा सके वह आप भी देखिये और इस लड़की की हिम्मत की तारीफ कीजिये।
इसी तरह की लड़कियाँ आज भी देश की लड़कियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देतीं हैं।
14 comments:
..really great,,...
हिम्मत को सलाम ।
आपने एक लडकी के हिम्मत और हौसले को ,
हम तक पहुँचाया ,रुखसाना के बहाने,
समाज की दृष्टि विस्तार ले रही है !
बधाई स्वीकार करें !
Hats off for her !
20 साल पहले इसी तरह सुधा चन्द्रन को देखा था फिल्म नाचे मयूरी मे । बहुत द्रवित किया था उस फिल्म ने भी ।
hats off to her, uske jeevat ko salaam
The girls like her are an inspiration to the India of today!..hats off to her and to you too for giving us this info.
हां यह एपिसोड मैंने भी देखा था। हौसले और दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतीक है यह नारी!
सुंदर व्यंजनाएं।
दीपपर्व की अशेष शुभकामनाएँ।
आप ब्लॉग जगत में महादेवी सा यश पाएं।
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आइए हम पर्यावरण और ब्लॉगिंग को भी सुरक्षित बनाएं।
कौन कहता है आसमाँ में सूराख हो सकता नहीं,
एक पत्तथर तो तबीयत से उछालो यारों.
Is naare kee aur kuch aise purusho kee bhee ichchhaa shaktee ko naman.
Par kabhee-kabhee lagtaa hai, kee jinhe kautuk kee chaah hai, aur jo kisee had tak stree ke liye barabaree kee jagah nahee denaa chahate, barabaree ke avsar nahee denaa chahate, aise kisse unke liye hathiyaar ho jaate hai "ki dekhon, himmamt hai, to kuchh bhee ho saktaa hai" aur samajik nyaay kee guhaar varth hai.
ek aisee soch hai jo lagaataar samaany naaree ko gadde tak dhakelane aur kautuk ko sthaapit kar uskaa justification detee hai.
स्वप्नदर्शी जी आपने जो लिखा है वो सही हो सकताहै पर ये भी विचार कीजिए कि यदि इस तरह की महिलाओं को सामने नहीं लाया जाएगा तो हम किस तरह की महिलाओं को सामने लायेंगे?
एक ऐसे समाज में जहाँ नारी को दोयम दर्जे का समझा जाता हो, खुद महिलाएं भी अपने आपको इसी कारण से बिना काम का समझने की भूल करने लगतीं हैं वहां एक ऎसी स्त्री जिसका एक पैर ही न हो उसका इस तरह का प्रदर्शन यदि आपको कौतुक लगता है तो लगता है कि आपको कौतुक और हिम्मत की समझ नहीं?
आप खुद महिला हैं (यदि पुरुष होकर छद्म नाम से नहीं लिखा है तो) इस महिला के कौतुक और हिम्मत के बीच के बड़े भरी अंतर को समझिये.
"एक ऎसी स्त्री जिसका एक पैर ही न हो उसका इस तरह का प्रदर्शन यदि आपको कौतुक लगता है तो लगता है कि आपको कौतुक और हिम्मत की समझ नहीं?"
Stree kee himmat kee sarahanaa meine bhee kee hai.
meraa ashay ye hai ki pitr-satta, in examples ko kaise naaree ke khilaaf istemaal karatee hai? aur stree kee himmat kee sarahanaa se bhee aage jo TRP kaa khel hai, "sansaneekhej item kee jo valaue hai" baazaar mei usko lekar meraa pahlaa comment thaa.
"आप खुद महिला हैं (यदि पुरुष होकर छद्म नाम से नहीं लिखा है तो) इस महिला के कौतुक और हिम्मत के बीच के बड़े भरी अंतर को समझिये."
My thoughts are not limited by my gender(or driven by sex hormones). therefore, consider my comments as a by product of my brain, comments from another human being.
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