इस लिंक को जरूर देखिये और साथ में देखिये पुत्रियों का जागरूक होना. उत्तर प्रदेश के जनपद जालौन में उरई में पुत्रियों ने अपने पिता का अंतिम संस्कार किया.
प्रदेश के अति बौद्धिक लोगों की दृष्टि में पिछड़े बुन्देलखण्ड के पिछड़े उरई में इस तरह की ये शायद चौथी घटना है जो पिछले एक साल के दौरान सामने आई है.
इन लड़कियों के और इनसे पहले की लड़कियों के द्वारा उठाये गए इस तरह के कदम से कथित महिला सशक्तिकरण वालों को और अभी-अभी बेशर्मी मोर्चा खोलने वालियों को कुछ सीखने को मिलेगा. देखा जाए तो इस तरह की घटनाओं को ही जागरूकता कहते हैं, महिला सशक्तिकरण कहते हैं.
http://epaper.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20110806a_002155003&ileft=459&itop=589&zoomRatio=183&AN=20110806a_002155003
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लिंक एवं चित्र अमर उजाला से साभार ली गई है
6 comments:
yah hona hi chahiye ...
Bete or betiyon ko brabri ka hak milna hi chahiye......
Jai hind jai bharat
मै तो ऐसे सोच को आधुनिक मानती हूँ । छोटे लिबास को आधुनिक मानने वाली तथा कथित आधुनिक महिलाओं की सोच को नही ।
महिलाओ को अब सामाजिक और धार्मिक बन्धनों को खुद ही तोड़ना होगा ये शुरुआत है आगे अभी बहुत जाना है |
दूसरी बात भारत में हुए बेसर्मी मोर्चे को बस कम कपड़ो को पहनने की आजादी से जोड़ कर मत देखीये ये इसलिए हुआ था की महिलाओ को ही हर बात के लिए दोष मत दीजिये यहाँ तक की बलात्कार के लिए आप महिलाओ को ही दोषी करार दे रहे है इस तरह कह कर आप बलात्कारियो को और बढाया दे रहे है | ये मोर्चा महिलाओ के खिलाफ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ था यहाँ सभी को हर तरह के कपडे पहन कर आने की छुट थी साड़ी और सलवार सूट भी | ये दुनिया की दूसरी जगहों पर हुए मार्च से अलग था ये साल्ट वाक् नहीं था |
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