
कुछ ही देर पहले एक सखी का फोन आया। उसने छूटते ही पूछा- तुम्हारे लिए आज़ादी का क्या मतलब है? यकायक मैं कुछ सोच नहीं पाई। कहा- आज़ादी... मतलब आज़ादी!...
कुल मिला कर कुछ गोल-मोल वाक्यांशों में, कुछ समझने और कुछ न समझा पाने के बीच जो कहा, उसका सरल सा मतलब यह निकला कि आजादी यानी बराबरी का हक और उन सब रूढ़ियों से आज़ादी, जो समाज में बराबरी के व्यवहार को रोकती हैं।
पर बात हो जाने के बाद भी लगा कि बात कुछ बन नहीं पाई। दरअसल हमारी पीढ़ी को देश की राजनीतिक आज़ादी देखने को मिली है। मेरे जैसे ठीक-ठाक आर्थिक-सामाजिक-शैक्षिक स्तर के परिवार में पैदा होने वालों को आज़ादी कहां नहीं मिली, यह सोचना पड़ेगा। हाथ में लड्डू की तरह जो भी सहजता से मिलता है, उसके बारे में हम अक्सर सोचते तक नहीं हैं।
और ईमानदारी से कह दूं कि आज सोचती हूं तो लगता है कि परिवार में भी कई तरह के दबावों से मैं बची रही, कुछ करने और काफी कुछ करने की आज़ादी रही। बचपन से नैतिक दबाव के अलावा आम तौर पर कोई रूढ़िवादी सामाजिक दबाव कम ही रहा। रहा भी तो मैंने अपने तईं उसकी परवाह खास नहीं की। समय पर पढ़ाई, आर्थिक निर्भरता, परिवार, समाज..। यानी कुल मिलाकर कोई खास संघर्ष जीवन में नहीं रहा। ऐसे में, जाहिर है, आज़ादी में क्या चाहिए (जैसे- नाश्ते में क्या चाहिए??!!हुंह, हद है संवेदनहीनता की) जैसे सवाल का तत्काल कोई जबाव नहीं सूझ पाया। चुपके से लगे हाथों ये भी कह ही डालूं कि स्त्री-विमर्श में जितना मैं आस-पास देख सोच कर शामिल होती हूं, उससे कहीं कम खुद झेलना पड़ता है। अगर अपने ही विचारों और सामाजिक आदतों की बंदिश न मानूं तो शायद काफी स्तरों पर मैं मुक्त हूं।
तो, कुल मिला कर अब आपके सामने भी यह सवाल रख रही हूं कि आपके लिए आज़ादी का क्या अर्थ है। स्वतंत्रता दिवस करीब है, माहौल में हर तरफ तिरंगे की आहट-सरसराहट है। ऐसे में इस सवाल का जबाव जरूर अपने भीतर खोजें और यहां साझा करें कि आपके लिए आज़ादी क्या है। आपको किस चीज से आज़ादी मिली या मिलेगी कि लगे कि हां, आप आज़ाद हैं?
6 comments:
सचमुच, गंभीरता से सोचने का विषय है।
Aajadi se matlab sayad har setra me hame apni marji se aponi pasand ke anusar kuch bhi karne se hai (wo galat na ho).....
Aajadi ka matlab hai ki raat ke kisi bhi wakt koi bhi ladki bina kisi presani ke bahar ghum sake..
Aajadi ka matlab har insaan or samaj ke har varg ke liye alag alag hai..........
Jai hind jai bharatAajadi se matlab sayad har setra me hame apni marji se aponi pasand ke anusar kuch bhi karne se hai (wo galat na ho).....
Aajadi ka matlab hai ki raat ke kisi bhi wakt koi bhi ladki bina kisi presani ke bahar ghum sake..
Aajadi ka matlab har insaan or samaj ke har varg ke liye alag alag hai..........
Jai hind jai bharat
आज के समय में तो कहूँगी की एक सुरक्षित समाज की जरुरत सबसे ज्यादा है लड़किया आजादी से कही भी आ जा सके उन्हें दिन रात का परवाह ना हो देश आतंकवादी हमलो से सुरक्षित हो ताकि हर कोई आराम से कही भी घुम सके सरकारी काम बिना किसी रिश्वत के बंधन से आजादी से हो सके भ्रष्टाचार की भेट हमारी सड़के ना हो ताकि हम आजादी और आराम से सड़को पर बिना अपने कार की बैंड बजाये चल सके , जो टैक्स हम दे उसका प्रयोग हमें ही सुविधाओ देने के लिए हो और हम आजादी से उसका उपयोग कार सके और .......................................
आजादी का अर्थ हम किस परिप्रेक्ष्य में खोज रहे हैं? आजाद हुए थे और फिर गुलाम हो गए. सिर्फ घर की चाहरदीवारी में अपने मन की कर लेना ही आजादी है नहीं - आँखे खोल कर देखें तो sab बंधे हैं आज भी. कुछ भी सुरक्षित नहीं , एक हम क्यों क्या रोज अखबार में दृष्टि डालने पर घर में अकेली महिला की हत्या, गले से चेन खींच लेना , हाथ से मोबाइल या पर्स खींच लेना . ये कहाँ की आजादी है और कैसी आजादी है?
http://sandoftheeye.blogspot.com/2008/04/blog-post_25.html
धन्यवाद स्वप्नदर्शी, आपने यह लिंक भेजकर उस पुरानी पोस्ट और आजादी के विषय पर व्यापक विमर्श को फिर से सामने ला दिया। सौ फीसदी सहमत हूं, कि मैं अपने लिए कई तरह के दबाव महसूस नहीं करती, जो कि लगता है कि आम तौर पर महिलाओं को झेलने पड़ते हैं। इसके बावजूद, अपनी समझ के भीतर कोई कितना भी आजाद क्यों न महसूस करता हो, जब तक सबके लिए वह आजादी नहीं है, या मेरे लिए बी हमेशा वह आश्वासन नहीं है, आजादी कतई नहीं कही जा सकती। फिर से सभी को पढ़ना चाहिए वह पोस्ट।
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