आसान ज़िंदगी भी
मुश्किल हो जाती है एक न एक दिन।
दिखने मे कितना मुलायम है दलदल।
धँसते धँसते जब धँसने ही वाली हो नाक भी
तब अचानक
पूरा दम लगाकर भी निकला नही जा सकता।
मेरे रास्तों को नहीं शोधा था मैंने
आज़माए रास्तों पर से गुरज़ने वाली पुरखिनें
लिख गयीं थीं किसी अज्ञात भाषा में
कुछ सूत्र
जिनका तिलिस्म तोड़ने के लिए
मरना ज़रूरी था मुझे ।
सो मरती रही कई बार ...
बार बार ...
सच कहूँ तो कई अर्थ जान लिए हैं मैंने ।
समझ गई हूँ कि
वे मेरे रास्तों पर से निशान वाली पट्टियाँ
उलट देते थे जाते जाते
मार्ग सुझाने का चिह्न शास्त्र
जिन औजारों से समझा जा सकता था
अपने ही साथ लिए फिरते थे वे उन्हें भी
शिकारी थे जंगल के
आदिम ।
इसलिए अनुगमन करना मेरे लिए विकल्प था
एकमात्र तो नहीं इसलिए
सहेज लेना रास्तों पर से फूल-कंद
अनुगमन की ऊब से निजात देता था।
सरल मुझ पर कितना कठिनाई से बीता
इसकी कहानी
नही सुनाने आयी हूँ तुम्हे ।
लेकिन पिछली पीढियों की धूर्तता की कीमत
कभी किसी पीढी मे तो
तुम चुकाओगे !
वह साहस आज और अभी ही क्यों ना हो ।
मुश्किल हो जाती है एक न एक दिन।
दिखने मे कितना मुलायम है दलदल।
धँसते धँसते जब धँसने ही वाली हो नाक भी
तब अचानक
पूरा दम लगाकर भी निकला नही जा सकता।
मेरे रास्तों को नहीं शोधा था मैंने
आज़माए रास्तों पर से गुरज़ने वाली पुरखिनें
लिख गयीं थीं किसी अज्ञात भाषा में
कुछ सूत्र
जिनका तिलिस्म तोड़ने के लिए
मरना ज़रूरी था मुझे ।
सो मरती रही कई बार ...
बार बार ...
सच कहूँ तो कई अर्थ जान लिए हैं मैंने ।
समझ गई हूँ कि
वे मेरे रास्तों पर से निशान वाली पट्टियाँ
उलट देते थे जाते जाते
मार्ग सुझाने का चिह्न शास्त्र
जिन औजारों से समझा जा सकता था
अपने ही साथ लिए फिरते थे वे उन्हें भी
शिकारी थे जंगल के
आदिम ।
इसलिए अनुगमन करना मेरे लिए विकल्प था
एकमात्र तो नहीं इसलिए
सहेज लेना रास्तों पर से फूल-कंद
अनुगमन की ऊब से निजात देता था।
सरल मुझ पर कितना कठिनाई से बीता
इसकी कहानी
नही सुनाने आयी हूँ तुम्हे ।
लेकिन पिछली पीढियों की धूर्तता की कीमत
कभी किसी पीढी मे तो
तुम चुकाओगे !
वह साहस आज और अभी ही क्यों ना हो ।
3 comments:
one generation will pay heavily
beautifully penned
धन्यवाद !
जरूर चुकाना होगा।
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