आज चोखेरबाली पर अनुप्रिया के कुछ रेखांकन शाया करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। जबसे फेसबुक के ज़रिए उन्हेंं जाना अनुप्रिया के ये खूबसूरत रेखांकन मुझे विस्मित करते रहे हैं। इनकी खासियत है कि एक स्त्री संसार इनके भीतर बसता है।इनमें स्त्री का साझा संसार भी है और कभी निजी पलों की अबूझ भावनाएँ भी। निजी भी उतनी निजी कहाँ है ...स्त्री का सत्य निजी होते हुए भी आत्मकेंद्रित नहीं होता। अस्मिता के शोध के साथ मुक्ति की इच्छा और उसकी कल्पना का आनंद ....मैनें इन रेखांकनो में देखे हैं। कुछ रेखाएँ कैसे इतना कुछ कह पाती हैं यह अनु के रेखांकन बताते हैं जो कितना क़रीब हैं कविता के, मन के, अवचेतन के ...अपनी कल्पनाओं के उलझे सिरे सुलझाते हुए भी हमारी कल्पना को अथाह स्पेस दे सकने की इनमें क्षमता है। अनु खुद कहती हैं कि जब वे कोई चित्र बनाती हैं तो एक स्त्री मानो आकर बैठ जाती है पन्ने पर...उसी से बतियाती हुईं वे रेखाओं के संग उसकी बात कहने की कोशिश करती हैं।
अनु ने अब तक 500 से अधिक चित्र बनाएँ हैं जिनमें से 400 स्त्री केंद्रित हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मेंं उनके चित्र देखने को मिल रहे हैं। हाल ही में बच्चों के लिए उनकी एक किताब"थोड़ा सा तो हो न बचपन " भी प्रकाशन विभाग से आई है। इन रेखांकनों के लिए उन्हें बहुत बधाई और शुभकामनाएँ।
13 comments:
शानजार चित्र अनुप्रिया जी
वाह...सचमुच कमाल के चित्र!! बहुत बधाई आप दोनों को। शुभकामनायें भी।
एक से बढ़ कर एक,
और सबसे खास बात की हर तस्वीर बोलती है :)
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आपका बहुत धन्यवाद!
आपका बहुत धन्यवाद!
बहुत शुक्रिया मित्र।
बहुत धन्यवाद आपका।
बहुत शुक्रिया सुजाता ,आपने इन चित्रों को चोखेरबाली का एक हिस्सा बनाया।बहुत अच्छा लगा।
बहुत शुक्रिया सुजाता ,आपने इन चित्रों को चोखेरबाली का एक हिस्सा बनाया।बहुत अच्छा लगा।
शुक्रिया आपका भी अनु ..यह आपका , हम सबका मंच है यहाँ नहीं होंगे ये रेखाचित्र तो कहाँ होंगे भला :)
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