- सुजाता
क्या बेहूदगी है !
-
सॉरी सर ! बस हँस ही तो रही हूँ ...
बकवास ! इस बहस को अभी , इसी वक़्त खत्म किया
जाए ।
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ओह , डाली से उलटी लटकी
चिड़िया के पंख में छिपा कीड़ा आपकी नाक में घुस गया है
छींक
कर उसपर एहसान नहीं करेंगे साहब !
कबूतर
नोचते जो पंख फंसा है
खखार
के थूकिये उसे ...धरा पावन हो जनाब !
खबरदार ! आगे एक शब्द नहीं ...
ठीक । मैं चुप सुनूंगी ।
- इस परिवार में एक आप ही समझदार हैं
सालों से जेब भी है आपकी पैण्ट में
आप ही न्याय करें !
(फरियादी महिला की फरमायश पर ; तलवारी
आवाज़ और मूँछीले तर्कों का सिलसिला ...ढैन ट टैन ...! )
होती पुरुष तो शोक में बढा लेती मैं अपनी दाढी
अभी तो वह खिचड़ी भी न होती
पैक अप कब होगा
मेरी नई कुर्ती की जेब में रखे चने खत्म हो गए तो
देखना !
जल्दी क्या
है ! अभी तो एक गाना भी आएगा-
आज़ादी !
- दो गुलामियों के बीच चयन की स्वतंत्रता
दो औरतों के बीच तनी हुई
रस्सी सा आदमी
दो आदमियों के बीच लटकी
अधमरी औरत
तीन मुर्गे तीतर तीन
दिल्ली –मैक्लॉडगंज- दिल्ली !
बिहार- यूपी –कश्मीर !
काला-सफ़ेद-रंगीन
एक सिंदूरवान
फेमिनिस्ट रोती है कलीग के कंधे पर
वह हँसता है शातिर , दाँत क्लोज़ अप में – अगली
बेस्ट सेलर आपकी होगी ...
सद्योन्मुक्ता !
दीवारों पर सखियाँ हैं , छ्प्पन इंच के सीने
हैं पोस्टरों पर ,साथ में उनके खम्भे मुस्तैद , घिघियाए
एक सौ आठ में एक पोस्टर कम है
मेरी आँख चलेगी हुज़ूर ?
फोड़ लो , बहुत बोलती हैं ।
सर, जल्दी नाराज़ होते
हैं –कोई पानी पिलाओ
पॉर्न दिखाओ ... पॉलिटिक्स सुनाओ ...नहीं नहीं सिर्फ़
सुनो
कभी नाव गाड़ी पर कभी गाड़ी नाव पर – परफेक्ट!
ई ल्यो फोटू - रब ने बना दी जोड़ी टाइप
मार धड़ाधड़ लाइक, फटाफट
शुक्रिया !
शुक्रिया !
शुक्रिया !
ओह ...मैडम
झुकते-झुकते गिरीं
उड़ते-उड़ते बिखर गईं ज़ुल्फें
...
कोई इतनी तारीफ न करे रब्बा ! बैक स्टेज गईं ...
ब्रा हटा के कोई बार-बार मूँछें टांग जाता है स्क्रीन
पर , हटाओ यार !